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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009

"अँदरसा, पूरनपोली या पिटव्वा" (अमर भारती)



आज प्रस्तुत है- अँदरसाः


पूर्वी उत्तर प्रदेश में "पिटव्वा", 
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में "अँदरसा 
और सामान्यतः इसे "पूरनपोली" के नाम से जाना जाता है।
सामग्री-
2 कटोरी चावल का आटा।
2 कटोरी सूजी।
1 छोटा चम्मच खाने का सोडा।
6-7 पीस लाल (बड़ी) इलायची।
700 ग्राम गुड़।
1 गोला।
4 छोटे चम्मच सौंफ।
तलने के लिए रिफाइण्ड तेल।
सबसे पहले गुड़ को भगोने मे डाल कर आधा लीटर पानी के साथ गुड़ घुलने तक पकाएँ। तब तक गोले को घियाकस में तराश लें। अब सिल पर या  मिक्सी में लाल इलायची छील कर इसके बीजों को सौंफ के साथ दरबरा पीस लें। सूजी और 
चावल के आटे में इन्हें मिला दें। अब गुड़ के शरबत को छानकर इससे चावल और सूजी को 1 छोटा चम्मच खाने का सोडा और सौंफ डालकर आटे की तरह गूँद लें। (गुड़ का शरबत कम पड़ जाए तो पानी डाल लें) एक घण्टा यह गुँथा हुआ आटा ढक कर रख दें। 
अब आटे को अच्छी तरह स मथ-मथ कर निम्न चित्र के अनुसार लोई बनाएँ और 

हाथ से मोटी-मोटी थेप कर 

(चित्र में मेरी छोटी बहन मुन्नी अँदरसे बना रही है)


खौलते रिफाइण्ड तेल की कड़ाही में डालते जाएँ। (ध्यान रहे की तेल काफी गर्म हो)

गाढ़े बादामी रंग की हो जाने पर पूरनपोली को निकाल लें।

अब खाने के लिए ये अँदरसे तैयार हैं।

इनका मजा ठण्डे करके खाने में ज्यादा आता है। 
बासी होकर तो यह बहुत ही स्वादिष्ट लगती हैं।
ये इतनी मुलायम होते हैं कि बूढ़े व्यक्ति भी इन्हे आराम से खा लेते हैं।

6 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

bahut svaadishT haiM jee muh me paanee aa gayaa| punjaab himaachal me inheM babru kahate hain dhanyavaad

मनोज कुमार ने कहा…

स्वादिष्ट व्यंजन।

Udan Tashtari ने कहा…

एक जमाना गुजरा यह सब व्यंजन खाये हुए.

राज भाटिय़ा ने कहा…

हम भी बनबाते, लेकिन गुड कहां से आये

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

राज भाटिया जी आप गुड़ की जगह चीनी प्रयोग मे
ला सकते हैं।

बेनामी ने कहा…

man karta hai ki ek dhire se utha lu par kaise:)

चुराइए मत! अनुमति लेकर छापिए!!

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